बिहार में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं, पर बिहार के मजदूर पलायन करने को मजबूर हैं। वो कह रहे हैं कि अगर वोट के चक्कर में यहां रुकेंगे तो पेट कैसे भरेगा। काम का कोई जुगाड़ नहीं हो रहा है। लॉकडाउन के बाद से बिहार लौटे मजदूर और कामगार वापस महानगरों का रुख करने को मजबूर हैं। काफी ढूंढने पर भी उन्हें बिहार में कोई काम नहीं मिला। उन पर रोजी रोटी का ऐसा दबाव है कि चंद दिनों के बाद होने वाले चुनाव में वोटिंग करने के लिए भी वो नहीं रुक रहे। लॉकडाउन के बाद घर आए थे, दिवाली आने वाली है और उसके बाद छठ है। लेकिन इन सबसे ठीक पहले ही यह काम की तलाश में घर से दूर जा रहे हैं। एक मजदूर ने बताया कि वह लॉकडाउन के टाइम बस से बिहार आए थे। वापस क्यों जा रहे हो यह सवाल पूछने पर जवाब मिला कि कंपनी ने बुलाया है इसलिए वापस जा रहा हूं। नहीं तो नौकरी चली जाएगी। यहां कोई काम धंधा नहीं मिला जो यहीं रह जाएं।
सुजीत पासवान नाम के मजदूर ने बताया कि वह पाइपलाइन का काम करते थे। जब पूछा कि दिल्ली जाकर काम मिल जाएगा वापस तो कहा कि हां जा रहे हैं अब वापस तो थोड़ा काम है वहां। कटाई गांव के एहसान ने चैन्नई में नौकरी करते थे। लाकडाउन के समय बिहार वापस आ गए थे, लेकिन यहां काम नहीं मिला तो वह वापस जा रहे हैं। उनका कहना है कि कुछ लोग दिल्ली गए, कुछ मुंबई गए कुछ कोलकाता गए कुछ मद्रास गए कोई बेंगलुरू गया। जब कहा गया कि जब सब लोग लौट रहे थे तो कह रहे थे कि अब कभी दिल्ली, मुंबई, कोलकाता नहीं आएंगे लेकिन अब वापस जा रहे हैं तो जवाब मिला कि यहां क्या करेंगे बताइये न।
जब हमारे लिए यहां कोई रोजगार नहीं है कोई सिस्टम हमारे लिए नहीं है तो क्या हम यहां भूखा मरेंगे। जब वोट डालकर जाने के लिए कहा तो जवाब मिला कि जब हमारे पास रुकने का इंतजाम ही नहीं है तो वोट कैसे डालेंगे। मौहम्मद कैफ नाम के युवक ने बताया कि यहां कहीं से भी किसी भी तरह की सहायता नहीं मिल रही है। घर में बैठे तो भूखे मर जाएंगे। कुछ तो करना पडे़गा। एक युवक ने कहा कि अगर वोट घर के बाकी बंधु डाल देंगे। वोट के चक्कर में रह गए तो घर थोड़ी न चलेगा।
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