Kanhaiya Kumar Bihar Congress: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार इन दिनों अपने गृह राज्य बिहार में कांग्रेस के लिए पसीना बहा रहे हैं। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले कन्हैया कुमार ‘पलायन रोको नौकरी दो’ यात्रा निकाल रहे हैं। उनकी यात्रा 16 मार्च को शुरू हुई थी और कई चरणों में पूरी होगी। इस दौरान यह यात्रा पूरे बिहार को कवर करेगी।

कन्हैया कुमार कांग्रेस की छात्र शाखा एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रभारी हैं। वह पहले भी बिहार में कांग्रेस के लिए प्रचार करते रहे हैं लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उनके द्वारा निकाली जा रही इस यात्रा के गहरे राजनीतिक अर्थ भी हैं। मतलब यह कि क्या उनकी यह यात्रा बिहार में रसातल में जा रही कांग्रेस को ऊर्जा दे पाएगी?

गुरुवार को अपनी इस यात्रा के पांचवें दिन कन्हैया कुमार उत्तर बिहार के सीतामढ़ी में थे। इस दौरान The Indian Express ने उनकी इस यात्रा को कवर किया। अपनी यात्रा के दौरान कन्हैया कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ आम लोगों से भी बातचीत करते हैं। कन्हैया कहते हैं कि यात्रा का मकसद है पलायन और रोजगार पर बात करना।

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कन्हैया कहते हैं, ‘प्रवास का जाति, धर्म और जेंडर से कोई लेना-देना नहीं है। होली या ईद से पहले, दिल्ली और मुंबई के रेलवे स्टेशनों पर बिहार जाने वाले लोगों की भारी भीड़ दिखती है। नौकरियों के लिए पलायन एक बड़ा मुद्दा है और यह सभी को प्रभावित करता है। इस साल के अंत में होने वाले चुनावों में यह मुद्दा सभी की जुबान पर होना चाहिए।’

इसके बाद वह भ्रष्टाचार की बात करते हैं और कहते हैं कि हर चीज में कमीशन लिया जाता है। कन्हैया कहते हैं कि कांग्रेस लोगों के मुद्दों को उठाने का सबसे बड़ा मंच है। अपनी यात्रा के दौरान कन्हैया सीतामढ़ी शहर में जानकी धाम में भी जाते हैं। इसे देवी सीता का जन्म स्थान माना जाता है।

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इस दौरान वहां मौजूद बीर चंद पासवान कहते हैं कि कांग्रेस का कोई भविष्य नहीं है, इसका कुछ नहीं हो सकता। पासवान बिहार की जेडीयू-बीजेपी सरकार के कट्टर समर्थक हैं।

आंकड़ों के जरिए यह जानना जरूरी होगा कि बिहार में पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहा है।

विधानसभा चुनाव मिली सीटें वोट प्रतिशत
2000  23 11.06%
2005 9  6.1%
2010 4 8.4% 
2015 27 6.8% 
2020 19 9.6% 

बिहारी अपमानजनक शब्द कैसे बन गया?

देवी सीता के मंदिर में दर्शन करने के बाद कन्हैया कांग्रेस के एक कार्यकर्ता के घर जाते हैं। वहां वह प्रेस कॉन्फ्रेंस में नालंदा के प्राचीन विश्वविद्यालय और दशरथ मांझी के बारे में बात करते हैं। वह सवाल पूछते हैं कि बिहारी अपमानजनक शब्द कैसे बन गया?

अपनी यात्रा के बारे में कन्हैया कुमार बताते हैं कि यह सिर्फ चुनावी यात्रा नहीं है। उनकी यात्रा के दौरान बिहार लोक सेवा आयोग के पेपर लीक जैसे बड़े सवालों को उठाया गया है। वह कहते हैं कि डेढ़ लाख लोगों का नौकरियों के लिए चयन हुआ लेकिन उन्हें अभी तक अप्वाइंटमेंट लेटर नहीं मिल सका है। इसके साथ ही वह बिहार से पलायन के मुद्दे को भी उठा रहे हैं।

कन्हैया की बढ़ती सक्रियता के बीच यह कहा जाता है कि गठबंधन में मुख्य सहयोगी आरजेडी इससे असहज है लेकिन कन्हैया कहते हैं कि वह आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ मंच शेयर करने के लिए तैयार हैं। इस यात्रा में भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय भानु चिब और पहलवान से नेता बने बजरंग पूनिया भी शामिल हुए।

…लोग कांग्रेस को भूल चुके हैं

कन्हैया कहते हैं कि वह इस यात्रा से उत्साहित हैं और इसे जारी रखेंगे। इस दौरान बिहार के रीगा के रहने वाले भाग्य नारायण यादव कहते हैं, ‘लोग कांग्रेस को भूल चुके हैं। कांग्रेस को पूरे साल जमीन पर रहकर काम करना चाहिए ना कि सिर्फ चुनावी साल में।’




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