बिहार में जल्द ही 53,00 शिक्षकों को अपनी नौकरी बचाने के लिए शैक्षणिक दस्तावेज दिखाने पड़ सकते हैं। राज्य सरकार इतनी बड़ी संख्या में स्कूली टीचरों को अपनी शिक्षा की डिग्री की प्रामाणिकता साबित करने के लिए कहेगी। क्योंकि, सतर्कता जांच ब्यूरो (Vigilance Investigation Bureau या VIB) को 53 हजार शिक्षकों के नियोजन फोल्डर नहीं मिले हैं। शिक्षा विभाग और निगरानी ब्यूरो के आलाधिकारियों की बैठक में यह फैसला लिया गया है। राज्य में ‘फेक’ डिग्रियों की जांच के लिए यह कदम उठाया है।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पटना उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद 2014 से 1.10 लाख से अधिक शिक्षकों की डिग्री सतर्कता जांच ब्यूरो (VIB) की जांच के अधीन है। साल 2007 और 2015 के बीच सरकारी स्कूलों में नौकरी पाने वाले शिक्षकों को अपनी डिग्री साबित करने के लिए प्रूफ दिखाना पड़ सकता है। 2015 में, कुल 1,400 प्राथमिक शिक्षकों ने बिहार में फर्जी शैक्षिक डिग्री के कब्जे पर सरकारी कार्रवाई की आशंका से सेवा से इस्तीफा दे दिया था।

दरअसल, इससे पहले पिछले साल, अदालत ने राज्य सरकार को कॉन्ट्रेक्ट टीचरों की वेरिफिकेशन डिटेल्स सबमिट करने के लिए 12 जनवरी तक का समय दिया था। वीआईबी के एक सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘चूंकि ब्यूरो और शिक्षा विभाग के संयुक्त प्रयासों के बावजूद सभी शिक्षकों की डिग्री हासिल करने में बहुत परेशानी हुई है, इसलिए हमने अब फैसला लिया है कि शिक्षकों को खुद अपनी डिग्री साबित करने के लिए प्रमाण दिखाने होंगे।’

सीनियर एडवोकेट दीनू कुमार ने द संडे एक्सप्रेस को बताया, “इस साल 31 जनवरी को दिए अपने आदेश में HC ने शिक्षकों के फोल्डर के पेंडेंसी के आंकड़े को कोट किया है। उन्होंने कहा, हमें आश्चर्य है कि शिक्षा विभाग अदालत को विवरण क्यों नहीं दे पा रहा है। भले ही 1.10 लाख से अधिक शिक्षकों की शिक्षा की डिग्री की जांच नहीं की गई है, फिर भी वे अपनी तनख्वाह पाने के लिए सेवा करते रहते हैं। देखते हैं कि क्या ये फोल्डर 12 जनवरी तक HC को सौंपे जा सकते हैं।’

बता दें कि, पिछले महीने तक, शिक्षा विभाग 2007 के बाद शिक्षकों की नियुक्ति के पहले चरण में कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नौकरी पाने वाले कुल 3,52,818 शिक्षकों में से 1,10,410 शिक्षकों की डिग्री पर वेरिफिकेशन डिटेल देने में फेल रहा था।

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