incentive scheme for low-value UPI transactions: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज यानी 19 मार्च को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कम मूल्य वाले BHIM-UPI लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए एक ‘Incentive Scheme’ को मंजूरी दी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट बैठक के बाद एक प्रेस वार्ता में कहा कि लो-वैल्यू BHIM-UPI transactions (P2M) को बढ़ावा देने के लिए ‘इंसेंटिव स्कीम’ को 1,500 करोड़ रुपये के अनुमानित खर्चे पर लागू की जाएगी।

सरकार ने एक आधिकारिक रिलीज में कहा कि छोटे व्यापारियों की कैटेगिरी से संबंधित 2,000 रुपये तक के लेनदेन के लिए प्रति ट्रांजैक्शन 0.15% की दर से इंसेंटिव ऑफर किया जाएगा।

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स्कीम की की सभी तिमाहियों के लिए, अधिग्रहणकर्ता बैंकों (acquiring banks) द्वारा स्वीकार किए गए क्लेम अमाउंट का 80% बिना किसी शर्त के डिस्बर्स यानी बांटा जाएगा। हर तिमाही के लिए स्वीकार की गई क्लेम रकम की बजची 20% की पूर्ति निम्नलिखित शर्तों को पूरा करने पर निर्भर होगी:

a) स्वीकृत क्लेम का 10% तभी ऑफर किया जाएगा जब अधिग्रहणकर्ता बैंक की तकनीकी गिरावट 0.75% से कम हो

b) स्वीकृत दावे का शेष 10% तभी ऑफर किया जाएगा जब अधिग्रहणकर्ता बैंक का सिस्टम अपटाइम 99.5% से अधिक होगा।

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इस फैसले से डिजिटल फुटप्रिंट के जरिए सुविधाजनक, सुरक्षित, तेज कैश फ्लो और क्रेडिट तक बढ़ी हुई पहुंच सुनिश्चित होगी। बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के बिना किसी मुश्किल पेमेंट सुविधाओं से आम नागरिकों को लाभ होगा।

इस नई इंसेंटिव स्कीम से छोटे मर्चेंट बिना कोई अतिरिक्त पैसा खर्च किए यूपीआई सर्विसेज का लाभ ले सकेंगे। चूंकि, छोटे व्यापारियों को पैसे से जुड़ी चिंता रहती है, ये इंसेंटिव उन्हें यूपीआई पेमेंट स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।

यह इंसेंटिव स्कीम, डिजिटल रूप में लेनदेन को औपचारिक बनाने और अकाउंटिंग करके, कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था (less-cash economy) बनाने के सरकार के विजन का समर्थन करता है।

रिलीज में कहा गया है कि लगभग 20% इंसेंटिव, हाई सिस्टम अपटाइम और लो टेक्निकल डेक्लाइन मेंटेन रखने वाले बैंकों पर निर्भर है। इससे नागरिकों को चौबीसों घंटे पेमेंट सर्विसेज की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। यूपीआई लेनदेन की वृद्धि और सरकारी खजाने पर कम से कम वित्तीय बोझ दोनों का विवेकपूर्ण संतुलन जरूरी है।




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