सरकारी नौकरियों में सातवां वेतन आयोग लागू कर दिया गया है। अब केंद्र सरकार 1 अप्रैल 2021 से नए सैलरी नियम लागू करने की प्लानिंग कर रही थी। लेकिन, अब नए वेतन नियम लागू नहीं हो रहे हैं, जैसा कि अपेक्षित था। श्रम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने द इकॉनोमिक टाइम्स को बताया कि नए वेतन कोड से ज्यादातर कर्मचारियों के मौजूदा सैलरी स्ट्रक्टर में बदलाव की संभावना है। केंद्र सरकार ने 29 केंद्रीय लेबर कानूनों को मिलाकर 4 नए कोड बनाए हैं। इनका नाम है इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड, कोड ऑन ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड (ओएसएच), सोशल सिक्योरिटी कोड और कोड ऑन वेजेस। लेबर कोडों में कुछ नए कॉन्सेप्ट लाए गए हैं। इसका कर्मचारी और नियोक्ता पर व्यापक असर पड़ने के आसार हैं।
क्या थे नए नियम जिन्हें सरकार लागू करने वाली थी
सरकार के प्लान के मुताबिक, 1 अप्रैल से मूल वेतन (सरकारी नौकरियों में मूल वेतन और महंगाई भत्ता) कुल सैलरी का 50 फीसदी या अधिक होना चाहिए। नए नियमों के मुताबिक, आपके पीएफ में एक ओर जहां इजाफा होता वहीं, आपकी इनहैंड सैलरी कम हो जाती। ज्यादातर नौकरीपेशा लोगों का सैलरी स्ट्रक्चर इस बदलाव के बाद पूरी तरह बदल सकता था। मूल वेतन बढ़ने से पीएफ में भी इजाफा होता है, क्योंकि ये बेसिक सैलरी पर आधारित होता है। काम करने के अधिकतम घंटों को बढ़ाकर 12 करने का भी प्रस्ताव रखा गया था। इसके अलावा 15 से 30 मिनट तक एक्सट्रा काम करने को भी ओवरटाइम में शामिल किया जाने का प्रावधान था।
पीएफ राशि बढ़ने से रिटायरमेंट की राशि में भी इजाफा होता। रिटायरमेंट के बाद लोगों को इस राशि से काफी मदद मिलेगी। पीएफ और ग्रैच्युटी बढ़ने से कंपनियों की लागत में भी वृद्धि होगी क्योंकि उन्हें भी कर्मचारियों के लिए पीएफ में ज्यादा योगदान देना पड़ेगा। नए नियमों के मुताबिक, 5 घंटे से ज्यादा लगातार काम करने पर प्रतिबंध लगाया जाना था। सरकार का मानना है कि कर्मचारियों को 5 घंटे काम करने के बाद आधे घंटे का ब्रेक दिया जाना चाहिए।
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