डॉ राजेंद्र प्रसाद 30 करोड़ की हेराफेरी और भ्रष्टाचार के केस में आरोपी हैं। ऐसे में स्पेशल विजिलेंस यूनिट उनके खिलाफ जांच कर रही है।

बिहार के बोधगया स्थित मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद 30 करोड़ की हेराफेरी के मामले में फंसे हुए हैं। इस बीच उन्होंने एक ऐसा आदेश दिया है, जिसे सुनकर सभी हैरान हैं। दरअसल डॉ प्रसाद 30 करोड़ की हेराफेरी और भ्रष्टाचार के केस में आरोपी हैं। ऐसे में स्पेशल विजिलेंस यूनिट उनके खिलाफ जांच कर रही है। उनके कई ठिकानों पर छापेमारी की जा चुकी है, जिसमें बिहार के बोधगया से लेकर गोरखपुर तक काफी मात्रा में नकदी, विदेशी मुद्रा, ज्वैलरी और जमीन के दस्तावेज मिले हैं।

एजेंसी द्वारा ये छापेमारी 17 नवंबर को हुई थी, लेकिन इसके अगले ही दिन यानी 18 नवंबर को कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने अनोखा आदेश जारी कर दिया। डॉ राजेंद्र प्रसाद ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को आदेश जारी करते हुए कहा है कि बिना उनकी लिखित अनुमति के कोई भी कागज एजेंसी को ना दें।

आरोपी डॉ राजेंद्र प्रसाद ने अपने आदेश में परीक्षा नियंत्रक, रजिस्ट्रार और वित्त अधिकारी को भी सम्मलित किया है और उन्हें लिखा है कि इस आदेश का पालन सभी से सुनिश्चित कराएं। इस आदेश की एक प्रति राजभवन भी भेजी गई है। कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने अपने आदेश में लिखा है कि जब तक उनके द्वारा या राजभवन से लिखित आदेश नहीं दिया जाता, तब तक एजेंसी को कागजात न दिए जाएं। इसके अलावा कुलपति ने ये भी कहा है कि जब तक जांच एजेंसी लिखित में किसी फाइल को ना मांगे, तब तक उसे कागज नहीं देने हैं।

खबर है कि जब उनके घर पर छापेमारी हुई तो लाखों रुपए के तो केवल कपड़े ही बरामद हो गए। कहा जा रहा है कि उनके घर से जो सूट, बेल्ट, शर्ट और बाकी चीजें मिली हैं, इनकी कीमत लाखों में है। उनके एक सूट की कीमत 40 हजार रुपए बताई जा रही है। इसी तरह शर्ट और पेंट 10 हजार रुपए और टाई 5 हजार रुपए के होने का अनुमान है।

इसके अलावा डॉ राजेंद्र प्रसाद पर ये आरोप भी है कि उन्होंने मगध यूनिवर्सिटी के अलावा वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी का कुलपति रहते हुए भी सरकारी फंड का दुरुपयोग किया और काला धन जमा किया। उन्होंने रिश्वत के लिए नियमों को जानबूझकर अनदेखा किया।


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