दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा गठित विशेषज्ञों की एक समिति ने राजधानी में स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से खोले जाने की सिफारिश की है।

दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा गठित विशेषज्ञों की एक समिति ने राजधानी में स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से खोले जाने की सिफारिश की है। हालांकि इस मामले में आखिरी फैसला अब उपराज्यपाल अनिल बैजल की अध्यक्षता वाली डीडीएमए की बैठक में किया जाएगा। कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की रिपोर्ट की जानकारियों के बीच यह सिफारिश सामने आई है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि स्कूलों को सभी कक्षाओं के लिए फिर से खोला जाना चाहिए लेकिन पहले चरण में वरिष्ठ कक्षाओं के विद्यार्थियों को बुलाया जाए। इसके बाद ही अन्य कक्षाओं के बच्चों के लिए स्कूल शुरू किए जाएं।

इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनकी सरकार स्कूलों को जल्द से जल्द फिर से खोलना चाहती है। विद्यार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार सभी कारकों का मूल्यांकन कर रही है। सूत्र बताते हैं कि अब दिल्ली सरकार इस रिपोर्ट का विस्तार से अध्ययन करेगी और इसके बाद ही स्कूल खोलने के मामले में आखिरी निर्णय लिया जाएगा। बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि स्कूलों को फिर से खोलने वाले राज्यों का मिलाजुला अनुभव रहा है। हम स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि स्कूलों को जल्द से जल्द फिर से खोल दिया जाए लेकिन हम विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते। हम जल्द ही फैसला लेंगे

वर्तमान में, कक्षा 10वीं, 11वीं और 12वीं के विद्यार्थी माता-पिता की सहमति से प्रवेश और बोर्ड-परीक्षा संबंधी गतिविधियों के लिए स्कूलों जा सकते हैं। यह कहते हुए कि राष्ट्रीय राजधानी में स्कूलों को फिर से खोलने में कोई नुकसान नहीं है। इस मामले में उपराज्यपाल अनिल बैजल ने छह अगस्त को अधिकारियों की विशेषज्ञ समिति गठित कर उनसे रिपोर्ट मांगी थी।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा बैजल की अध्यक्षता में हुई बैठक में डीडीएमए को यह बताए जाने के बाद किया गया था कि 19 जुलाई से 31 जुलाई के बीच सरकारी स्कूलों में हुई अभिभावक-शिक्षक महाबैठक (पीटीएम) में शामिल हुए थे और कम से कम 90 प्रतिशत माता-पिता ने स्कूलों को फिर से खोलने के पक्ष में मत दिया। इससे पूर्व उप मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि एक साल से अधिक समय से स्कूल बंद होने से शिक्षा का बड़ा नुकसान हुआ है। समिति को विस्तृत मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) को अंतिम रूप देने, स्कूलों की तैयारियों का आकलन करने, शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के टीकाकरण और माता-पिता की चिंताओं को दूर करने का काम सौंपा गया था।


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