केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से साफ कहा है कि वह 8 लाख रुपए वाले उस मापदंड पर फिर से विचार करेगा, जिसमें ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के लिए सालाना आय सीमा तय की गई थी।

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी ईडब्ल्यूएस को लेकर केंद्र ने बड़ी टिप्पणी की है। केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह ईडब्ल्यूएस के तहत आरक्षण का लाभ लेने के लिए तय किए गए मापदंड पर दोबारा विचार करेगा। बता दें कि अभी तक ईडब्ल्यूएस के तहत आरक्षण का लाभ लेने के लिए 8 लाख रुपए की वार्षिक आय का मापदंड तय किया गया था।

केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए थे और उन्होंने न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को इस बारे में जानकारी दी और 4 हफ्तों का समय मांगा।

ईडब्ल्यूएस के मापदंड का सवाल NEET परीक्षा (ऑल इंडिया कोटा) में इसकी शुरूआत के संदर्भ में उत्पन्न हुआ था। जिसके बाद कोटा नियमों को चुनौती देने वाली याचिका पर अंतिम निर्णय लंबित होने के कारण काउंसलिंग को रोक दिया गया था। बता दें कि राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा यानी NEET को भारत की सबसे कठिन मेडिकल प्रवेश परीक्षा माना जाता है।

गुरुवार को, एसजी तुषार मेहता ने बेंच को आश्वासन दिया कि चार सप्ताह के लिए काउंसलिंग को टाल दिया जाएगा। इससे पहले याचिका पर सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से यह बताने के लिए कहा था कि NEET के तहत मेडिकल सीटों में आरक्षण के लिए पात्र ईडब्ल्यूएस छात्रों की पहचान करने के लिए जो 8 लाख रुपए की वार्षिक आय का मापदंड तय किया गया था, उसके लिए पहले से क्या अभ्यास किया गया था?

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र और चिकित्सा परामर्श समिति (एमसीसी) के 29 जुलाई के नोटिस को चुनौती देने वाली छात्रों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है। इस नोटिस में इस साल की NEET परीक्षा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया है।


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