वर्तमान में तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या व औद्योगीकरण से अपशिष्ट पदार्थों (कचरा) का उत्पादन बढ़ गया है।
वर्तमान में तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या व औद्योगीकरण से अपशिष्ट पदार्थों (कचरा) का उत्पादन बढ़ गया है। हजारों छोटी और बड़ी औद्योगिक इकाइयां खुले स्थानों और आसपास के जल निकायों में अपने जहरीले और खतरनाक कचरे को फेंकती हैं, जिसके फलस्वरूप अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। ठोस व तरल अपशिष्ट उत्पन्न करने वाले उद्योगों को इस तरह के कचरे का प्रबंधन स्वयं करना पड़ता है और इसके लिए उन्हें कुशल कर्मचारियों की आवश्यकता होती है। ऐसे विशेषज्ञ जोकि इस क्षेत्र में काम की समझ रखते हुए उनका भविष्य उज्ज्वल कहा जा सकता है।
अपशिष्ट प्रबंधन का महत्त्व
विभिन्न प्रकार के उद्योगों और मानवीय क्रिया-कलापों से विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट पदार्थ उत्पन्न होते हैं। इन अपशिष्ट पदार्थों का प्रबंधन एक विशेष प्रक्रिया द्वारा किया जाता है। उदाहरण के लिए घरेलू कूड़े के साथ अस्पताल से निकलने वाले चिकित्सीय पदार्थों का एक साथ प्रबंधन नहीं किया जा सकता। अपशिष्ट प्रबंधन का उद्देश्य मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर असुरक्षित कचरे के प्रतिकूल प्रभावों को कम करना है। अपशिष्ट पदार्थों के लिए उचित प्रबंधन से समय, धन और जगह की भी बचत होती है। आज के आधुनिक दौर में अपशिष्ट पदार्थों के प्रबंधन का महत्त्व बढ़ा है और आज इस क्षेत्र को वैज्ञानिक तकनीकी का भी सहयोग मिल रहा है। आज इसका महत्त्व विश्व स्तर पर समझा जा रहा है।
रोजगार के अवसर
अपशिष्ट प्रबंधन से स्नातक करने वाले युवाओं के पास विभिन्न करिअर के क्षेत्रों में प्रवेश करने पर कई विकल्प होते हैं। एक अनुमान है कि साल 2020 और 2030 के बीच इस क्षेत्र के 8 से 10 फीसद तक रोजगार के अवसरों में इजाफा देखने को मिलेगा। अपशिष्ट प्रबंधन में स्नातक के बाद युवा निम्न रोजगार पर विचार कर सकते हैं। जिनमें अपशिष्ट प्रबंधन अधिकारी, जल उपचार संयंत्र प्रबंधक, सस्टेनेबिलिटी मैनेजर, पर्यावरण संरक्षण तकनिशियन/प्रबंधक आदि शामिल हैं। अपशिष्ट प्रबंधन अधिकारी के कार्यों में अपशिष्ट का उपचार, पुनचर्कण सुविधाओं व अपशिष्ट निपटान स्थलों को चलाना और उनकी निगरानी करना। पुनचर्कण संग्राहको की टीकों का प्रबंधन और नियंत्रण करना। स्थानीय और पुनचर्कण सेवाओं का प्रबंधन। स्थानीय क्षेत्र के कचरे और पुनचर्कण के आंकड़ों का नियमित विश्लेषण करना और पर्यावरण और अपशिष्ट प्रबंधन के मुद्दों पर सथानीय समुदायों और व्यवसायों में जागरूकता फैलाना शामिल हैं।
पाठ्यक्रम संबंधित जानकारी
अपशिष्ट प्रबंधन पाठ्यक्रम में विद्यार्थी अपशिष्ट प्रबंधन सहित पर्यावरणीय मुद्दों से निपटने वाले विभिन्न सरकारी नियमों को जानते समझते हैं। इन पाठ्यक्रमों में विद्यार्थियों को सरकारी कानूनों और नीतियों को ठीक से पढ़ना और उनकी व्याख्या करना सिखाया जाता है कि जिसकी मदद से वो वास्तविक जीवन स्थितियों का अनुमान लगाकर इस क्षेत्र में कार्य कर पाते हैं।
उपलब्ध पाठ्यक्रम
अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में अपलब्ध पाठ्यक्रमों में बीवाक (औद्योगिकी अपशिष्ट प्रबंधन), बीवाक (औद्योगिकी अपशिष्ट पुनर्चकरण तकनीक) ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, बीबीए (सुविधाएं एवं स्वच्छता प्रबंधन), प्रमाणपत्र (ठोस कचरा प्रबंधन) आदि शामिल हैं।
वेतनमान
यदि आप अच्छी तरह से पढ़ाई और प्रशिक्षण करते हैं तो आपका शुरुआती वेतन 20,000 से 25,000 रुपए महीने के आसपास हो सकता है। यह करिअर उन विद्यार्थियों के लिए बहुत अच्छा है जो एक साथ कई काम करने की क्षमता रखते हैं, जिन्हें नए-नए विचारों पर काम करने में मजा आता है। इसके अलावा विद्यार्थी डिग्री पूरी करने के उपरांत स्वयं का अपशिष्ट प्रबंधन उद्योग भी स्थापित कर सकते हैं और स्वयं को व समाज को आत्मनिर्भर बना सकते हैं। इस कड़ी में स्थापित किए जा सकने वाले अपशिष्ट प्रबंधन उद्योगों में केंचुआ खाद बनाने का उद्योग, बायो गैस बनाने का कार्य, मिट्टी पानी की जांच करने की प्रयोगशाला, प्लास्टिक व इलेक्ट्रानिक कचरा प्रबंधन से संबंधित उद्योग, उद्योगों को अपशिष्ट प्रबंधन संबंधित परामर्श कार्य आदि शामिल हैं।
प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेंद्रगढ़
राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर, विश्वविद्यालय
अखिल भारतीय स्वास्थ्य विज्ञान और जनस्वास्थ्य संस्थान, कोलकता
दिल्ली कौशल एवं उद्यमिता विश्वविद्यालय
अनूप यादव (शिक्षक, केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा)
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