देश में उच्च शिक्षा में सुधार और शोध परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए सरकारी और निजी संस्थानों से लगातार धन बढ़ाने की बात कही जाती है, लेकिन हाल के कुछ वर्षों के रिकॉर्ड बताते हैं कि कई योजनाओं में इसमें गिरावट आई है। सरकार के आंकड़ों में भी स्वीकार किया गया है कि कुछ योजनाओं में सरकारी खर्च में गिरावट आई है।

शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा में सांसद जवाहर सरकार के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत वास्तविक व्यय, राज्य-स्तरीय संस्थानों को मदद देने की एक योजना पर व्यय क्रमशः 2018-19, 2017-18 और 2016-17 में 1,393 करोड़ रुपये, 1,245.97 करोड़ रुपये और 1,126.9 करोड़ रुपये था।

केंद्र द्वारा संसद में प्रस्तुत किए गए आंकड़े बताते हैं कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की लघु और प्रमुख शोध परियोजना योजनाओं के तहत अनुदान भी 2016-17 में 42.7 करोड़ रुपये से धीरे-धीरे घटकर 2020-21 में 38 लाख रुपये हो गया है।

सीपीएम के राज्यसभा सदस्य वी. शिवदासन के एक अलग प्रश्न के जवाब में सरकार ने डेटा प्रस्तुत किया, जिससे पता चला कि यूजीसी की कई फेलोशिप और छात्रवृत्ति योजनाओं के लिए धन में कमी आई है।

यूजीसी द्वारा दी गई एमेरिटस फैलोशिप की संख्या 2017-18 में 559 से घटकर 2020-21 में 14 हो गई है। इसी अवधि के दौरान मानविकी में डॉ. एस. राधाकृष्णन पोस्ट डॉक्टरल फैलोशिप की संख्या 434 से घटकर 200 हो गई। अल्पसंख्यक छात्रों के लिए मौलाना आजाद राष्ट्रीय फैलोशिप 2020-21 में 2,348 छात्रों को दी गई, जो 2016-17 में 4,141 थी।

केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार ने बुधवार को बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों में कुल 4,267 तदर्थ शिक्षक कार्यरत हैं। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में उन्होंने ने यह जानकारी दी। सरकार की ओर से साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक सबसे अधिक 137 तदर्थ शिक्षक रामजस कॉलेज में है।

इसके बाद वेंकटेश्वरा कॉलेज में 131, देशबंधु कॉलेज में 127 और कालिंदी कॉलेज में 120 तदर्थ शिक्षक हैं। उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न कॉलेजों व संस्थानों में शिक्षण स्टाफ की नियुक्ति कॉलेजों के शासी निकाय द्वारा विश्वविद्यालय के एक अध्यादेश के तहत एक चयन समिति की सिफारिश पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विनियम, 2018 में निर्धारित पात्रता मानदंडों के अनुरूप की जाती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यूजीसी विनियम, 2018 में अस्थायी/तदर्थ शिक्षकों की सेवाओं को स्थायी आधार पर नियमित करने का कोई प्रावधान नहीं है।’’

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