पायलट करिअर से रोमांच, ग्लैमर, पैसा और आकर्षण जुड़े होते हैं। व्यावसायिक पायलट का काम बेशक रोमांचकारी है लेकिन यह जिम्मेदारी और समझदारी की मांग भी करता है। जिम्मेदारी इस रूप में कि उसे रोजाना जटिल मशीनों से जूझना पड़ता है और साथ ही सैकड़ों यात्रियों की सुरक्षा का दबाव रहता है। जरा सी लापरवाही यात्रियों को जोखिम के मुंह में धकेल सकती है। दूसरी ओर, रोमांच इसलिए कि एक पायलट को देश-विदेश की सैर करने का मौका मिलता है। उसकी जीवन शैली बेहद आकर्षक होती है। यही वजह है कि इन दिनों इस क्षेत्र में पायलटों की मांग जोर पकड़ती जा रही है।
पायलट बनने के क्रम में लाइसेंस
स्टूडेंट पायलट लाइसेंस (एसपीएल) : ये पहला स्तर है। इसे हासिल करने के लिए 12वीं भौतिक, रसायन और गणित के साथ कम से कम 50 फीसद अंकों के साथ पास होना जरूरी है। इसको हासिल करने की न्यूनतम उम्र 16 साल है। इसके अलावा 5 फुट लंबाई और 6/6 आंखों की नजर होनी भी जरूरी है। इसके बाद विद्यार्थी को नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) यार भारत सरकार से मान्यताप्राप्त किसी फ्लाइंग क्लब में एसपीएल के लिए पंजीकरण करवा सकते हैं। इसके बाद एक वस्तुनिष्ठ परीक्षा होगी। इसे पास करने के बाद आप स्टूडेंट पायलट लाइसेंस हासिल कर पाएंगे।
प्राइवेट पायलट लाइसेंस (पीपीएल): ये दूसरा स्तर है। प्राइवेट पायलट लाइसेंस को हासिल करने के लिए विद्यार्थी को लिखित और प्रयोगात्मक दोनों तरह की परीक्षा देनी होगी। इसको पास करने की न्यूनतम उम्र 17 साल है। प्राइवेट पायलट लाइसेंस को एएफसीएमई यानी सशस्त्र बल केंद्रीय चिकित्सा संस्थान जारी करता है। इस लाइसेंस को हासिल करने में दो लाख से पांच लाख रुपए तक का खर्च आता है।
व्यावसायिक पायलट लाइसेंस (सीपीएल): ये अंतिम चरण है। व्यावासायिक पायलट लाइसेंस के बाद ही इसे हासिल किया जा सकता है। इसमें लिखित और प्रयोगात्मक परीक्षा के अलावा मेडिकल फिटनेस टेस्ट भी देना होता है। सीपीएल हासिल करने के लिए 250 घंटों की फ्लाइंग जरूरी है। इसे हासिल करने के लिए आठ से पंद्रह लाख रुपए तक का खर्च आ सकता है।
योग्यता
व्यावयासिक पायलट बनने के लिए भौतिक, रसायन और गणित विषय के साथ 12वीं पास होना आवश्यक है। इसके अलावा इंजीनियरिंग में डिप्लोमा धारक और भौतिक व गणित के साथ स्नातक डिग्री हासिल करने वाले उम्मीदवार भी व्यावसायिक पायलट बन सकते हैं।
संस्थान
’अखिल भारतीय वैमानिकी संस्थान, देहरादून
’सरकारी विमानन प्रशिक्षण संस्थान, भुवनेश्वर
’कोयंबटूर फ्लाइंग क्लब, कोयंबटूर
’भारतीय विमानन अकादमी, मुंबई
’पश्चिम बंगाल फ्लाइंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, कोलकाता
’जमशेदपुर को-ऑपरेटिव फ्लाइंग क्लब लिमिटेड, जमशेदपुर
’अमदाबाद विमानन एवं वैमानिकी, अमदाबाद
’गवर्नमेंट फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूल, बंगलुरु
’इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी, बरेली
’राजीव गांधी विमानन अकादमी, सिकंदराबाद
बढ़ रही है मांग
पहले नागर विमानन का क्षेत्र सरकारी हवाई सेवा तक ही सीमित था। लेकिन जबसे निजी क्षेत्र नागर विमानन की दौड़ में शामिल हुए हैं। इसमें रोजगार की संभावनाएं बढ़ गई हैं। आइटी और प्रबंधन के बाद इन दिनों जिस क्षेत्र की ओर युवा भाग रहे हैं वो नागर विमानन का यही क्षेत्र है। इस क्षेत्र में कई ऐसे पद हैं जिनके जरिए विद्यार्थी अपने सपनों पर पंख लगा सकते हैं। ग्लैमर के शौकीन युवाओं के लिए यह क्षेत्र एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है। व्यावसायिक पायलट का वेतन काफी आकर्षक है। इसमें इंसेंटिव भी अच्छा-खासा होता है।
वेतन
नागर विमानन क्षेत्र के विशेषज्ञों के मुताबिक प्रशिक्षु पायलट को 20 हजार रुपए तक आसानी से वेतन मिल जाता है। इसके बाद व्यावसायिक पायलट को शुरुआती रूप से एक लाख रुपए महीने तक मिल सकते हैं। घरेलू उड़ानों के लिए डेढ़ से दो लाख रुपए महीने और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए 4 से 6 लाख रुपए महीने वेतन मिल सकता है।
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