यूपीएससी के पहले प्रयास में नितिन ने प्री और मेंस क्लीयर कर लिया था, लेकिन इंटरव्यू राउंड में वह कंपटीशन से बाहर हो गए थे।

UPSC: यूपीएससी की परीक्षा क्लीयर करना काफी कठिन माना जाता है, लेकिन अगर कोई शख्स मेहनत करने की ठान ले तो मंजिल दूर नहीं है।

IAS अधिकारी नितिन शाक्य की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जो लाखों छात्रों को प्रेरणा दे सकती है। नितिन की अंग्रेजी विषय पर पकड़ बेहद कमजोर थी, फिर भी वह डरे नहीं और मेहनत और लगन से यूपीएससी की परीक्षा क्लीयर की।

नितिन ने अपनी एजुकेशन सरकारी स्कूल से की थी, फिर भी उन्हें यूपीएससी में अच्छी रैंक हासिल हुई। स्कूल के समय में हालात ये थे कि उनके नंबर इतने कम आए थे कि स्कूल ने उन्हें एडमिट कार्ड देने से मना कर दिया था। क्योंकि स्कूल को लगता था कि अगर ये बच्चा परीक्षा में बैठा तो कम स्कोर करेगा, जिससे स्कूल का नाम खराब होगा। इसके बावजूद 12वीं की परीक्षा में नितिन ने अच्छे अंक हासिल किए।

12वीं के बाद मेडिकल की पढ़ाई

नितिन ने 12वीं के बाद मेडिकल की पढ़ाई को चुना और MBBS करने के बाद डॉक्टर बने। डॉक्टर बनने के बाद उन्होंने गरीब इलाकों में जाने का निश्चय किया और गरीब बच्चों को मुफ्त इलाज देने लगे। इसी दौरान उन्होंने IAS अधिकारी बनने का निश्चय किया। उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की और रणनीति बनाकर पढ़ाई करना शुरू किया।

यूपीएससी के पहले प्रयास में नितिन ने प्री और मेंस क्लीयर कर लिया था, लेकिन इंटरव्यू राउंड में वह कंपटीशन से बाहर हो गए। साल 2018 में तीसरे प्रयास में नितिन ने यूपीएससी की परीक्षा क्लीयर कर ली और IAS बने।


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