यह सूबे की विभिन्न कंपनियों, समाजों, ट्रस्टों और सीमित देयता भागीदारी फर्मों में स्थानीय उम्मीदवारों के लिए 75% नई नौकरियों के आरक्षण का प्रावधान करता है। यानी बीजेपी शासित सूबे में प्राइवेट सेक्टर की 75 फीसदी नौकरियां हरियाणवियों के लिए रिजर्व रहेंगी।

हरियाणा स्टेट एंप्लायमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट्स एक्ट, 2020 (Haryana State Employment of Local Candidates Act, 2020) सूबे में 15 जनवरी 2022 से लागू किया जाएगा। यह सूबे की विभिन्न कंपनियों, समाजों, ट्रस्टों और सीमित देयता भागीदारी फर्मों में स्थानीय उम्मीदवारों के लिए 75% नई नौकरियों के आरक्षण का प्रावधान करता है। यानी बीजेपी शासित सूबे में प्राइवेट सेक्टर की 75 फीसदी नौकरियां हरियाणवियों के लिए रिजर्व रहेंगी। हालांकि, आरक्षण का लाभ केवल उन्हीं नौकरियों के लिए मिल पाएगा, जिनमें वेतन 30 हजार रुपए तक होगा।

यह विधेयक बीते साल नवंबर में राज्य विधानसभा द्वारा पारित किया गया था, जबकि राज्यपाल एसएन आर्य ने 26 फरवरी को विधेयक को मंजूरी दी थी। ऐलनाबाद उप चुनाव के दौरान आचार संहिता लागू हो गई थी, लिहाजा इसे रोक दिया गया था।

इस ऐक्ट के प्रभाव में आने के बाद हजारों युवाओं को राहत मिलने की उम्मीद है। कानून के मुताबिक, निजी क्षेत्र में 75 फीसदी नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित होनी चाहिए। हालांकि, पहले कोटा केवल उन नौकरियों के लिए लागू था जो 50,000 रुपए तक का सकल मासिक वेतन प्रदान करते हैं। बाद में इसमें फेरबदल कर इसे 30 हजार रुपए कर दिया गया।

जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.अजय चौटाला के मुताबिक, “जिन लक्ष्यों को लेकर हमने जजपा का गठन किया उसमें एक अहम पड़ाव आज पूरा हुआ। “हरियाणा की प्राइवेट नौकरियों में स्थानीय कैंडिडेट्स को 75% हिस्सेदारी” देने वाला कानून 15 जनवरी 2022 से लागू होने जा रहा है। आज युवाओं के लिए डबल दीवाली है।”

इससे पहले, मार्च में एक अंग्रेजी बिजनेस वेबसाइट “Moneycontrol” से बातचीत में सीएम खट्टर ने बताया था कि आरक्षण वाला नियम सिर्फ गैर-तकनीकी नौकरियों पर मान्य होगा।

दरअसल, प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में स्थानीयों के लिए तीन-चौथाई आरक्षण 2019 के विधानसभा चुनावों से पहले जननायक जनता पार्टी (JJP) द्वारा किए गए प्रमुख वादों में से एक था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन सरकार बनाने के बाद पार्टी ने अपने नौकरी कोटे के एजेंडे को आगे बढ़ाया। जेजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, जिन्होंने राज्य विधानसभा में कानून पेश किया था, ने हरियाणा में उच्च बेरोजगारी दर को रोकने के लिए नौकरी कोटा जरूरी बताया था।


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