पाकिस्तान में हाईकोर्ट के चपरासी के एक पद के लिए भर्ती निकाली गई जिसमें कम से 15 लाख से अधिक लोगों ने आवेदन किया। इन उम्मीदवारों में कई तो ऐसे रहे कि जिनके पास एमफिल की डिग्री थी।

नया पाकिस्तान बनाने का वादा करके पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने इमरान खान अपने कार्यकाल में पूरी तरह से फेल नजर आ रहे हैं। पाक में ताजा हालात ऐसे हैं कि वहां बेरोजगारी अपने चरम पर पहुंच गई है। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा लीजिए कि हाई कोर्ट में चपरासी के एक पद के लिए 15 लाख से ज्यादा लोगों ने अप्लाई किया। सोशल मीडिया पर इसको लेकर लोग अपनी प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं।

पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स (पीआईडीई) के आंकड़ों पर गौर करें तो पाकिस्तान में बेरोजगारी दर 16 फीसदी तक पहुंच गई है। यहा आंकड़ा इमरान खान की अगुवाई वाली सरकार के 6.5 फीसदी के दावे के एकदम उलट है।

इसको लेकर ट्विटर पर गौतम दंतानी(@GautamDantani14) ने लिखा कि, “हाल-बेहाल: पाकिस्तान में उच्चतम स्तर पर बेरोजगारी दर, चपरासी के एक पद के लिए 15 लाख आवेदन!”

वहीं कुछ लोगों ने भारत में बेरोजगारी की हालत पर ध्यान देने की बात कही। निखिल(@nikhilja45) नाम एक यूजर ने लिखा कि, “भारत की देखो, पाकिस्तान का देखने से पहले अपने देश की बेरोजगारी देखो जहां अगर नगर निगम के सफाई कर्मचारियों की भी भर्ती निकलती हैं तो उसमे भी ग्रेजुएट, डिप्लोमा, पोस्ट ग्रेजुएट, वाले भी होते हैं।”

वहीं अमन(@amandwi39776875) ने लिखा कि, “पाकिस्तान को छोड़ो साहब क्योंकि अपने देश में तो हर कोई रोजगार और नौकरी कर रखे हैं बहुत ही अच्छे हालात है, थोड़ा यहां भी एक बार देख लीजिये।”

रिपोर्ट्स के मुताबिक कि पाकिस्तान की हाईकोर्ट में चपरासी के लिए एक पद के लिए भर्ती निकाली गई। जिसमें 15 लाख से अधिक लोगों ने आवेदन किया। आलम ये रहा कि कई लोग ऐसे थे जिनके पास एमफिल की डिग्री है। पाकिस्तान में पीआईडीई ने बेरोजगारी की बढ़ती दर पर कहा कि, पाकिस्तान में इस समय 24 फीसदी लोग ऐसे हैं, जो शिक्षित बेरोजगार हैं, उनके पास काम नहीं है। वहीं योजना और विकास पर सीनेट की स्थायी समिति को जानकारी देते हुए पीआईडीई ने कहा कि 40 फीसद शिक्षित महिलाएं (स्नातक से कम या स्नातक) भी पाकिस्तान में बेरोजगार थीं।

पीआईडीई के अधिकारियों ने कहा कि सरकार के स्तर पर किसी भी तरह का कोई शोध नहीं किया जा रहा है, सभी अध्ययन विदेशों से किए गए। समिति ने कहा कि देश में कई शोध संस्थान चल तो रहे हैं, लेकिन उन शोधों के उद्देश्य पूरे नहीं हो रहे हैं।

बता दें कि पाकिस्तान में तहरीक-ए-इंसाफ के हाथों सत्ता आने के पहले साल में पुरुषों और महिलाओं, दोनों में बेरोजगारी में वृद्धि देखी गई। पुरुष बेरोजगारी दर जहां 5.1 प्रतिशत थी और बढ़कर 5.9 प्रतिशत हो गई तो वहीं महिला बेरोजगारी दर 8.3 फीसदी से बढ़कर 10 फीसदी हो गई।


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