UPSC: कनिष्का ने साइकोलॉजी को ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में चुना था और इस फैसले का उन्हें फायदा भी मिला।

UPSC: सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाती है। इस परीक्षा में सफलता पाने की सब की अपनी अलग रणनीति होती है। कनिष्का ने भी पहले अटेम्प्ट में असफलता के बाद अपनी रणनीति में बदलाव किया और दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की थी। आज हम कनिष्का के यूपीएससी सफर के बारे में बताएंगे।

कनिष्का सिंह दिल्ली की रहने वाली हैं। वह बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज़ थीं। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने साइकोलॉजी से बैचलर्स की डिग्री प्राप्त की है। ग्रेजुएशन पूरा होते ही उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा देने का मन बना लिया और इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी थी। साल 2017 में कनिष्का ने सिविल सेवा परीक्षा का पहला अटेम्प्ट दिया। अपने पहले प्रयास में कनिष्का प्रिलिमनरी परीक्षा भी पास नहीं कर पाई थीं। इस असफलता के पीछे हुई गलतियों से उन्होंने सबक सीखा और तैयारी की रणनीति में बदलाव किया। आखिरकार, कनिष्का ने अपने दूसरे ही प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा में कामयाबी हासिल कर ली।

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कनिष्का का मानना है कि सिविल सेवा परीक्षा के लिए ऐसे विषय को ऑप्शनल चुने जिसमें आपकी अच्छी पकड़ हो। कनिष्का ने भी साइकोलॉजी को ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में चुना था और इस फैसले का उन्हें फायदा भी मिला। कनिष्का के अनुसार पहले प्रयास में असफलता मिलने का सबसे बड़ा कारण यही था कि उन्होंने पढ़े हुए विषयों का न ही अच्छे से रिवीजन किया और न ही मॉक टेस्ट दिया। अगर इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करनी है तो उसके लिए जरूरी है कि आप सिलेबस कवर करने के बाद उसका रिवीजन भी अवश्य करें। साथ ही आंसर राइटिंग प्रैक्टिस करें और मॉक टेस्ट भी ज़रूर दें।

कनिष्का कहती है कि इस कठिन परीक्षा में कामयाबी पाने के लिए आपको एक बेहतर रणनीति बनानी होगी और उस रणनीति के हिसाब से आगे की पढ़ाई भी नियमित रूप से करनी होगी। कनिष्का एक समय पर केवल एक ही विषय पर ही फोकस किया करती थीं। हालांकि, उनका कहना है कि अगर आप एक समय में दो विषय पढ़ सकते हैं तो वह भी ठीक है। बस जो भी तरीका अपनाएं, उस पर अमल भी करें।

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