रश्मि ने कर्नाटक में मणिपाल इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी से पढ़ाई की है और उनके घोषणा-पत्र में उनकी भारतीय जड़ों का भी जिक्र है। छात्र संघ चुनाव में जीत के बाद आॅक्सफोर्ड एसयू लीडरशिप इलेक्शन में उन्होंने परिसर को ‘उपनिवेशवाद से मुक्त करने तथा समावेशिता की जरूरत’ पर जोर दिया। उनके वक्तव्य में कहा गया, ‘ब्रिटेन के पूर्ववर्ती उपनिवेश की एक बीएएमई (अश्वेत, एशियाई और अल्पसंख्यक जातीय) महिला रश्मि वंचित समूहों के संघर्षों के प्रति सहानुभूति रखने वाली हैं।’

छात्र संघ की 2021-22 के लिए निर्वाचित अध्यक्ष सावंत की टीम में कुछ और भारतीय भी हैं जिनमें देविका वाइस-प्रेसिडेंट ग्रेजुएट्स इलेक्ट तथा धीति गोयल स्टूडेंट ट्रस्टीज इलेक्ट पद के लिए चुनी गई हैं। कर्नाटक की रश्मि सावंत ने कभी सोचा न था कि पिछले बरस जनवरी में वह दुनिया के जिस प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान में दाखिले के लिए आवेदन कर रही थी, इस वर्ष फरवरी में वह उसी संस्थान के छात्र संघ का चुनाव जीतकर खबरों का हिस्सा बन जाएगी।

मणिपाल इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में चार वर्ष का स्रातक पाठ्यक्रम पूरा करने वाली रश्मि सावंत को सात महीने पहले आॅक्सफोर्ड में दाखिला मिला। वहां गए भले ही कम समय हुआ, लेकिन छात्र संघ चुनाव में हजारों छात्रों ने उन्हें वोट देकर अध्यक्ष पद के चुनाव में विजयी बना दिया और उसकी आंखों को कुछ और सपने देखने की वजह दे दी। यह पहला मौका है जब भारत की किसी महिला ने आॅक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष पद पर कब्जा किया है।

रश्मि सावंत का कहना है कि विदेश में पढ़ाई करने के इच्छुक छात्र छात्राओं को अपने लक्ष्य को पहचानने के बाद उसपर से अपना ध्यान भटकने नहीं देना चाहिए और पूरी शिद्दत से उसे पाने की कोशिश में लग जाना चाहिए, लेकिन उसके लिए सब कुछ त्याग देने और 24 घंटे पढ़ाई करते रहना भी सही नहीं है। रश्मि का मानना है कि अपनी रुचि की तमाम गतिविधियों में हिस्सा लेना और जीवन के हर क्षेत्र में कुछ बेहतर करने की चाह रखना आपको अपनी मंजिल के करीब ले जाता है।

रश्मि के पिता दिनेश सावंत उडुपी के नजदीक परकाला में अपना कारोबार करते हैं, जबकि मां वत्सला सावंत गृहिणी हैं। रश्मि की प्रारंभिक शिक्षा मणिपाल और उडुपी में ही हुई और उन्होंने 2016-2020 के बीच एमआइटी से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई की है। इस दौरान वह छात्र परिषद की तकनीकी सचिव रहीं और मणिपाल हैकेथान की शुरुआत में उनका बड़ा योगदान रहा, जिसमें सामाजिक चुनौतियों से निपटने के लिए डिजिटल समाधान की हिमायत की गई है।



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