पिछले साल मार्च में कोरोना की वजह से देश में लॉकडाउन की घोषणा की गयी थी। लॉकडाउन की वजह से कई लोगों के नौकरियाँ और रोज़गार छीन गए थे और साथ ही देश में बेरोज़गारी दर करीब 30 फीसदी तक चला गया था। हालाँकि अब कोरोना के हालात तो थोड़े ठीक हुए हैं लेकिन फिर भी करीब 50 फीसदी लोगों को वापस नौकरी नहीं मिली है। यह खुलासा CMIE के सर्वे में किया गया है।

CMIE के सर्वे के अनुसार पिछले साल सिर्फ जुलाई के महीने में करीब 50 लाख नौकरियाँ गयी थी। लॉकडाउन में बेरोज़गारी की मार सबसे ज्यादा महिलाओं और युवाओं पर पड़ी थी। इतना ही नहीं महिलाओं का बेरोज़गारी दर युवाओं की तुलना में करीब दोगुना था। सर्वे के अनुसार 15 से 24 साल के उम्र के करीब 34.4% लोग बेरोज़गारी हुए थे। जिनमें से करीब 24.1% लोगों को वापस से रोज़गार मिल गया लेकिन उनको पहले की तुलना में काफी कम पैसे दिए जाने लगे। वहीँ 35 से 44 साल के उम्र समूह में बेरोज़गारी दर युवाओं की तुलना में कम रही। 35-44 साल के लोगों के बीच बेरोज़गारी दर करीब 6.8% प्रतिशत था वहीँ करीब 28.5% लोगों को हालात ठीक होने के बाद रोज़गार वापिस से मिल गया। लॉकडाऊन के दौर में ठप्प पड़ी अर्थव्यवस्था की वजह से पिछले साल अप्रैल के महीने में करीब 9.1 करोड़ छोटे व्यापारियों और दिहाड़ी मज़दूरों का रोज़गार छिन गया था।

हालाँकि CMIE के सर्वे में यह भी खुलासा हुआ है कि हालत में सुधार होने के बावजूद भी रोज़गार की क्वालिटी काफी गिरी है। हालाँकि 53.4 % कामगारों पर लॉकडाउन का कोई असर नहीं पड़ा। CMIE के दिसंबर 2020 के सर्वे के अनुसार देश में बेरोज़गारी दर करीब 9.06% प्रतिशत आंकी गयी थी जबकि नवंबर में बेरोज़गारी दर करीब 6.51% थी। साथ ही ग्रामीण इलाकों में बेरोज़गारी दर करीब 9.15% दर्ज की गयी थी.नवंबर के महीने में करीब 35 लाख लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। बेरोज़गारी के आंकड़ों के मामले में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़ों पर काफी भरोसा किया जाता है।

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