संजय सिंह बघेल
कोरोना महामारी और पूर्णबंदी के चलते भारत की बेरोजगारी दर रेकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई थी। लेकिन जैसे ही पूर्णबंदी को अलग-अलग कार्यों के लिए हटाया गया, बेरोजगारी दर में भी सुधार देखा गया है। एक ताजा सर्वेक्षण के अनुसार पूर्णबंदी के दौरान डिजिटल प्रौद्योगिकी और इससे संबद्ध क्षेत्रों में जिस तरह से उछाल आया है, वह अब किसी से छुपा हुआ नहीं है। अब तो लोग यह भी कहने लगे है कि आने वाले दिनों में ये करिअर के नए क्षेत्र बन जाएंगे और इनकी मांग सबसे अधिक होगी। पूर्णबंदी के बाद जिन क्षेत्रों में सबसे अच्छी संभावना व्यक्त की जा रही है, उसमें कुछ क्षेत्रों के नाम और योग्यता का विश्लेषण यहां दिया गया है।
डाटा विज्ञान
डाटा विज्ञान सबसे तेजी से विकसित और लोकप्रिय क्षेत्रों में से एक है। उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियां कृत्रिम बौद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग और नेचुरल लाइफ प्रोसेसिंग जैसी डाटा विज्ञान तकनीकों को अपना रही हैं। नतीजतन, योग्य और कुशल डाटा विज्ञान पेशेवरों की मांग आसमान छू रही है। डाटा विज्ञान डोमेन में नौकरी की बढ़ती रिक्तियों को देखते हुए, छात्र और पेशेवर, दोनों ऑनलाइन डाटा विज्ञान सर्टिफिकेशन कार्यक्रम का चयन कर रहे हैं। ईडीएक्स हार्वर्ड, यूजीसी स्वयं, अपग्रेड जैसी कई वेबसाइट और संस्थान हैं जो डाटा विज्ञान पर उत्कृष्ट पाठ्यक्रम करते हैं। इन पाठ्यक्रमों में जैसे बिजनेस एनालिटिक्स सर्टिफिकेशन प्रोग्राम, पीजी सर्टिफिकेशन इन डाटा विज्ञान, पीजी डिप्लोमा इन डाटा विज्ञान और मास्टर आॅफ साइंस इन डाटा विज्ञान। ये पाठ्यक्रम 3 से 18 महीने तक के होते हैं। सभी डाटा विज्ञान कार्यक्रमों को सबसे बेहतर प्रशिक्षकों द्वारा पढ़ाया जाता है और इसमें लाइव प्रोजेक्ट, केस स्टडी और मॉक इंटरव्यू सेशन शामिल होते हैं।
इन पाठ्यक्रमों के अंतर्गत बिग डाटा, बिजनेस इंटेलिजेंस, उत्पाद एनालिटिक्स, डाटा विजुअलाइजेशन, स्टेटिस्टिक्स एंड ऑप्टिमाइजेशन, नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग, डाटा विजुअलाइजेशन जैसे कई क्षेत्रों को कवर किया जाता हैं। इस प्रकार, ऐसे संस्थानों से एक डाटा विज्ञान प्रमाण-पत्र प्राप्त करना आपको वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों और परियोजनाओं पर काम करने के लिए निसंदेह एक अवसर प्रदान करेगा।
मशीन लर्निंग
मशीन लर्निंग का प्रयोग कई उद्योगों में बहुत तेजी से बढ़ा है, जिनमें सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, शिक्षा, गेमिंग, बीएफएसआइ, मार्केटिंग, रिटेल, ई-कामर्स आदि शामिल हैं। स्वाभाविक रूप से, कंपनियों और संगठनों द्वारा मशीन लर्निंग विशेषज्ञों को अत्यधिक महत्त्व दिया जाता है।
अगर आप मशीन लर्निंग से संबंधित कोई भी व्यावसायिक डिग्री और योग्यता प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप लघु अवधि के पाठ्यक्रम कर सकते हैं। इस पाठ्यक्रम के दौरान उद्योग-विशिष्ट विषय जैसे कि न्यूरल नेटवर्क्स, आॅब्जेक्ट डिटेक्शन, सेंटीमेंट एनालिसिस, कंप्यूटर विजन, जेस्चर रिकॉग्निशन, नेम एंटिटी रिकॉग्निशन, नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग, इन्फॉर्मेशन एक्सट्रैक्शन, हिडन मार्कोव मॉडल्स आदि आप सीख सकते हैं।
वित्त और जोखिम विशेषज्ञ
बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा के क्षेत्र में जिस तरह से दिनोंदिन परिवर्तन हो रहे है उससे इस क्षेत्र में वित्त और जोखिम पेशेवरों की मांग बढ़ी है। अन्य क्षेत्रों की तरह बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा क्षेत्र भी अद्वितीय और डाटा चालित और ग्राहक केंद्रित समाधान तैयार करने के लिए एआइ और मशीन लर्निंग जैसी उभरती हुई तकनीकों की सहायता ले रहा रहा है। नतीजतन इन क्षेत्रों की कंपनियों में प्रतिभाशाली पेशेवरों के लिए बड़े पैमाने पर मांग हो रही हैं जो नए-पुराने उपकरणों के साथ काम कर सकते हैं। यदि आपके पास डिजिटल वित्त और बैंकिंग में अपनी विशेषज्ञता साबित करने वाला पेशेवर प्रमाणीकरण है, तो आप मौजूदा बाजार में एक बेहतर करिअर की शुरुआत कर सकते हैं। इसके लिए आपको किसी भी सरकारी और गैर सरकारी विश्वविद्यालयों अथवा निजी संस्थानों से दो साल का एमबीए अथवा कोई डिप्लोमा कर सकते है।
उत्पाद प्रबंधक
2019 के एक सर्वेक्षण के अनुसार ग्लासडोर ने उत्पाद प्रबंधन को 5 सर्वश्रेष्ठ करिअर विकल्पों में से एक माना हैं, जो दुनिया भर में 11,000 से अधिक सक्रिय नौकरी के अवसरों के साथ काम पर रखने का अवसर प्रदान करता है। इस क्षेत्र में कार्य करने वालों को न केवल उच्च वेतन मिलता है, बल्कि विकास के लिए पर्याप्त अवसर भी। बहुआयामी दायरे में काम करने की वजह से, एक उत्पाद प्रबंधक की स्थिति एक संगठन से दूसरे संगठन के अधीन हो सकती है। इसलिए इसके लिए कुछ प्रमुख गुण और कौशल का होना जरूरी हैं, जैसे रणनीतिक सोच, व्यावसायिक मानसिकता, स्पष्ट संचार, सहयोग, मजबूत परियोजना प्रबंधन, तकनीकी दक्षता से एक व्यक्ति सफलता के किसी भी शिखर तक पहुंच सकता है। उत्पाद प्रबंधक के लिए कही से भी प्रबंधन में डिप्लोमा अथवा डिग्री होना चाहिए।
(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षक हैं)
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