सुप्रीम कोर्ट के दिग्गज अधिवक्ता प्रशांत भूषण इस समय सुर्खियों में हैं। कारण है उनपर सर्वोच्च अदालत द्वारा लगाया गया अदालत की अवमानना की मुकदमा। 25 अगस्त की सुनवाई के बाद अदालत ने अब 10 सितंबर तक के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। हम यहां आपको बताने वाले हैं प्रशांत भूषण की शिक्षा के बारे में। वह हमेशा से वकील नहीं बनना चाहते थे, बल्कि फिलॉसफी पढ़ना चाहते थे। स्कूली पढ़ाई के बाद वे IIT से इंजीनियरिंग करने गए मगर पहले सेमेस्टर के बाद ही होमसिकनेस और फिजिक्स में मन न लगने के कारण वापस आ गए।
मार्च 2011 में Careers360 को दिए अपने एक इंटरव्यू में उन्होनें बताया था कि स्कूल के बाद उन्हें फिजिक्स में दिलचस्पी थी। उन दिनों विज्ञान में रुचि रखने वाले लोग IIT जाते थे इसलिए उन्होनें भी परीक्षा दी और IIT मद्रास पहुंचे। वहां सेमेस्टर बिताने के बाद उन्हें महसूस हुआ कि उन्हें इंजीनियरिंग में कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होनें एक सेमेस्टर के बाद संस्थान छोड़ दिया।
इसके बाद उन्होनें इलाहाबाद विश्वविद्यालय से दर्शन, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में दो साल का BSc करने का फैसला किया। उनके कॉलेज खत्म करने के ठीक बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश में आपातकाल लागू कर दिया गया। उन्होनें इसकी सुनवाई में भाग लिया, और यहां तक कि इसके बारे में एक किताब भी लिखी।
TOI को दिए एक इंटरव्यू के मुताबिक, कॉलेज खत्म करने के बाद वे दर्शनशास्त्र की पढ़ाई करना चाहते थे लेकिन आसपास के लोगों ने कहा कि हमारे कॉलेज में फिलॉसफी विभाग खराब है। इसलिए उन्होने औपचारिक रूप से LLB और अनौपचारिक रूप से फिलॉसफी और फिजिक्स पढ़ने का फैसला किया। जब उन्होनें अपना LLB पूरा किया तो उसके बाद PHd के लिए आवेदन किया। क्योंकि उन्हें छात्रवृत्ति मिली थी इसलिए वे प्रिंसटन यूनिवर्सिटी गए। ढाई साल बाद वह भारत लौट आए और लॉ की प्रैक्टिस करने लगे।
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