विदेश में पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाले एक मेडिकल एस्पिरेंट ने दिल्ली उच्च न्यायालय से गुहार लगाई है कि वह पूर्व-अपेक्षित NEET योग्यता के बिना उन्हें पात्रता प्रमाण पत्र देने के लिए अधिकारियों को निर्देश दे, क्योंकि यह कोर्स जल्द ही उज्बेकिस्तान में शुरू होने वाला है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) द्वारा मार्च 2019 के गजट नोटिफिकेशन के अनुसार, मेडिकल कोर्सेज में प्रवेश के लिए आयोजित नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) विदेश में MBBS कोर्स करने के लिए अनिवार्य कर दी गई है।

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याचिकाकर्ता ने कहा कि वह उज्बेकिस्तान के बुखारा स्टेट मेडिकल इंस्टीट्यूट से मेडिकल में स्नातक की पढ़ाई करना चाहती है। वहां इस कोर्स के लिए आवेदन करने के लिए आखिरी तारीख 20 अगस्त है और भारतीय छात्रों के एडमिशन के लिए नीट योग्यता पात्रता अनिवार्य है। छात्रा ने कहा कि भारत में कोविड-19 महामारी के कारण नीट परीक्षा 13 सितम्बर में होनी निर्धारित है और इस आधार पर वह किसी भी हालत में विदेश में पढ़ाई के लिए आवेदन करने के लिए योग्य नहीं हो सकती। इसलिए उसे नीट योग्यता के संबंध में पूर्व अपेक्षित नीट योग्यता परीक्षा के बिना पात्रता प्रमाण देने के लिए एमसीआई को निर्देश दिए जाएं, ताकि वह अपनी पढ़ाई के लिए आवेदन कर सके।

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आपको बता दें कि भारत में भी कुछ स्टूडेंट्स यह मांग कर रहे हैं कि ऐसे समय में JEE और NEET के एग्जाम न कराए जाएं। कोरोनावायरस के कारण यह उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होगा। इसके अलावा यूनिवर्सिट कॉलेजों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के एग्जाम के लिए यूजीसी ने उनके एग्जाम्स को लेकर नई गाइडलाइन्स जारी की हैं। इसमें यूजीसी ने कहा है कि सभी यूनिवर्सिटी फाइनल ईयर के एग्जाम 30 सितंबर तक करा लें। यूजीसी के इस फैसले को लेकर कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। उनका मांग है कि यूजीसी एग्जाम न कराए। बिना एग्जाम के ही रिजल्ट जारी कर दे।

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