पटना हाइकोर्ट ने बिहार में चल रही शिक्षक भर्ती पर रोक लगा दी है। इस भर्ती प्रक्रिया से प्राइमरी और सेकंडरी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती होनी है। दोनों ही भर्ती पर अलग अलग कारणों से रोक लगाई गई है। नेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड की बिहार शाखा ने जनहित याचिका दायर की थी कि प्राइमरी और सेकंडरी स्कूलों में शिक्षकों की होने वाली नियुक्ति में दिये गये रोस्टर के मुताबिक दृष्टिहीन दिव्यांग के लिए 400 सीटें होनी चाहिए, लेकिन सिर्फ 98 सीटें आरक्षित की गयी हैं, जो पर्याप्त नहीं हैं। इस याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और एस कुमार की खंडपीठ ने की थी।

बिहार शिक्षक भर्ती के मामले से जुड़ी एक अन्य याचिका की सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने राज्य में प्राथमिक शिक्षक नियोजन में सिर्फ दो वर्षीय डीएलएड वाले अभ्यार्थियों पर विचार करने के राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने हेमंत कुमार व अन्य की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था। साथ ही राज्य सरकार को सात सितंबर तक जवाब देने का भी निर्देश भी दिया है।

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एक अन्य यााचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता पीके वर्मा उपस्थित हुए थे। इस मामले में राज्य सरकार के महाधिवक्ता के मौजूद नहीं होने की वजह से सुनवाई को स्थगित करने की मांग की गई थी। जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 19 अगस्त निर्धारित कर दी। इस अगली तारीख पर महाधिवक्ता को भी उपस्थित रहने को कहा गया है।

राज्य के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती का मामला 2019 का है। एनसीटीई से मान्यता प्राप्त संस्थानों से जो सेवारत शिक्षक 18 महीने का डीएलएड कोर्स पास किया था, उन्हें भी इस नियोजन कार्यक्रम में आवेदन देने का अधिकार पटना हाईकोर्ट ने संजय कुमार यादव के मामले में पारित न्यायादेश के जरिए दिया था।

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