राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की किताब के एक अध्याय में संशोधन किया है। इसमें जम्मू-कश्मीर की अलगाववादी राजनीति और जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने का जिक्र किया गया है। ये संशोधन ‘आजादी के बाद से भारत में राजनीति’ किताब के ‘क्षेत्रीय आकांक्षाएं’ वाले अध्याय में किया गया है।

पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पांच अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को खत्म करने की अनुमति दे दी थी। इसके साथ ही राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था। लद्दाख जिसमें कोई विधान सभा नहीं होगी और जम्मू-कश्मीर में एक विधानसभा होगी। ये बदलाव इसी सत्र में किए गए हैं और 2020-21 के पाठ्यक्रम इन्हें छात्रों को पढ़ाया जाएगा।

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किताब का पेज नंबर 158 कहता है, ‘5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 द्वारा समाप्त कर दिया गया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजति किया गया था।’ किताब में एनसीईआरटी ने दिलचस्प रूप से संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का एक विस्तृत संदर्भ दिया है। जिसमें 21 अप्रैल 1948 को भारत ने कड़ा विरोध किया था और जिसका दुरुपयोग होता देखा गया है।

इसमें लिखा है कि पाकिस्तान ने राज्य के एक बड़े हिस्से को नियंत्रित करना जारी रखा और इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के पास ले जाया गया, जिसने अपने प्रस्ताव में 21 अप्रैल 1948 की सिफारिश की… इसमें कहा गया कि भारत को कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपनी सेनाओं को कम करने की आवश्यकता है। एक जनमत संग्रह एक स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से आयोजित किया जाना था। हालांकि, इस प्रस्ताव के तहत कोई प्रगति हासिल नहीं की जा सकी।

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