केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने 2020-21 सत्र के लिए कक्षा 9वीं से 12वीं तक का सिलेबस 30 प्रतिशत कम कर दिया है। बोर्ड ने संशोधित कोर्स अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है, जिसमें कक्षा 9वीं के सामाजिक विज्ञान से जनसंख्या, लोकतांत्रिक अधिकार, भारत में खाद्य सुरक्षा आदि चैप्टर। 10वीं के भूगोल और इतिहास विषयों से कई चैप्टर और कक्षा 11वीं के राजनीति विज्ञान से नागरिकता, राष्ट्रवाद एवं धर्मनिरपेक्षता, भारत में स्थानीय निकाय का विकास आदि पाठ जबकि 12वीं से समकालीन विश्व में सुरक्षा, पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधन, भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार से संबंध समेत अन्य चैप्टर हटा गए हैं। COVID-19 महामारी के कारण लिए गए इस फैसले के बाद सीबीएसई पाठ्यक्रम कम करने को लेकर राजनीतिक बहस शुरू हो गई है। अब केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने अपनी तरफ से सफाई दी है।

दरअसल, सीबीएसई के सिलेबस से 30 प्रतिशत की कटौती में कुछ चैप्टरों को हटाने पर तमाम बड़ी पार्टियों ने अपत्ति जाहिर की है। इनमें दिल्ली के शिक्षा मंत्री व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो तथा पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता शशि थरूर और सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी भी शामिल हैं। मनीष सिसोदिया ने कुछ अध्यायों को हटाने का औचित्य और बोर्ड से ‘बहुत मजबूत’ कारण मांगा है। उन्होंने कहा, ‘मैं 2020-21 के शैक्षणिक सत्र में माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम को कम करने के सीबीएसई के फैसले का समर्थन करता हूं, लेकिन सिलेबस में जिस तरह से कटौती की गई है, उसे लेकर मेरी आशंकाएं और चिंताएं हैं।’ सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने ट्वीट किया, “महामारी का उपयोग करते हुए, मोदी सरकार भारत की विविधता, बहुलता, लोकतंत्र आदि से निपटने वाले वर्गों को हटा रही है जो हमारे उच्चतर माध्यमिक पाठ्यक्रम से संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखते हैं।”

ममता बनर्जी ने भी बोर्ड के इस कदम पर हैरानी जताते हुए ट्विट किया कि, ‘इस बात को जानकर हैरानी हुई है कि केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान सीबीएसई कोर्स कम करने के लिए नागरिकता, संघीयता, धर्मनिरपेक्षता और विभाजन को हटा दिया है। हम कड़ाई से इसका विरोध करते हैं और मानव संसाधन विकास मंत्रालय और भारत सरकार से यह अपील करते हैं कि इन महत्वपूर्ण विषयों को किसी भी कीमत पर नहीं हटाया जाना चाहिए।’ वहीं शशि थरूर ने ट्वीट किया कि ‘मैं पहले मंत्री को सीबीएसई का सिलेबस घटाने के लिए बधाई देने वाला था, लेकिन फिर मैंने देखा कि इन लोगों ने क्या हटाया है।’ उन्होंने 10वीं क्लास से लोकतंत्र, लोकतंत्र को मिलने वाली चुनौती, धर्म, जाति जैसे विषय और 11वीं 12वीं के राष्ट्रवाद-सेक्युलरिज्म, बंटवारे और पड़ोसियों के साथ संबंध का पाठ को हटाने पर आपत्ति जताई है।

इसके बाद, केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने पाठ्यक्रम कटौती पर सफाई देते लगातार कई ट्विट किए हैं। उन्होंने लिखा, ‘CBSE सिलेबस से कुछ टॉपिक की कटौती पर अधूरी जानकारी के आधार पर कई टिप्पणियां की गई हैं। इन टिप्पणियों के माध्यम से झूठ और सनसनी फ़ैलाई जा रही है। अपने बच्चों के प्रति शिक्षा हमारा परम कर्तव्य है। आइए हम शिक्षा को राजनीति से अलग रखें और अपनी राजनीति को और शिक्षित बनाएं। यह हमारा विनम्र निवेदन है।’

जानिए किस कक्षा के कौन-कौन से अध्याय हटाए गए हैं-

कक्षा 9वीं- सामाजिक विज्ञान से जनसंख्या, लोकतांत्रिक अधिकार, भारत में खाद्य सुरक्षा। गणित से क्षेत्रफल का पूरा चैप्टर। अंग्रेजी ग्रामर से पैसिव वॉयस के इस्तेमाल, प्रीपोजिशन और लिटरेचर से पांच चैप्टर

कक्षा 10वीं- भूगोल से वन्य एवं वन्य जीवन समेत तीन पाठ और इतिहास से भी दो पाठ हटाए गए हैं। गणित से त्रिकोण का क्षेत्रफल समेत कई प्वॉइंट। अंग्रेजी ग्रामर से पैसिव वॉयस के इस्तेमाल, प्रीपोजिशन और लिटरेचर से 5 चैप्टर

कक्षा 11वीं- राजनीति विज्ञान से नागरिकता, राष्ट्रवाद एवं धर्मनिरपेक्षता, भारत में स्थानीय निकाय का विकास। भौतिक विज्ञान से भौतिक संसार, गति का सिद्धांत, गुरुत्वाकर्षण आदि।

कक्षा 12वीं- समकालीन विश्व में सुरक्षा, पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधन, भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार से संबंध समेत अन्य दो अध्याय। मैग्नेटिज्म एवं मैटर समेत अन्य कई टॉपिक शामिल नहीं। इसके अलावा गणित, अंग्रेजी, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, इतिहास आदि सभी विषयों का कोर्स कम हुआ है।

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