University Grants Commission (UGC) के पूर्व चेयरमैन सुखदेव थोराट ने कॉलेज और यूनिवर्सिटी के फाइनल ईयर के एग्जाम्स को अनिवार्यतः होल्ड करने के पैनल के छह जुलाई वाले फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
मौजूदा UGC अध्यक्ष धीरेंद्र पाल सिंह को लिखे पत्र में गुरुवार को उन्होंने देश के स्टूडेंट्स की वह मांग दोहराई, जिसमें वे एग्जाम कैंसल करने की गुहार लगा रहे हैं।
थोराट के इस पत्र में और लोगों ने भी हस्ताक्षर कर इस बाबत अपनी सहमति जताई है। खत पर दस्तखत करने वालों में देश के विभिन्न विवि और इंस्टीट्यूट्स के 28 प्रोफेसर हैं, जिनमें University of Delhi और Jawaharlal Nehru University भी शामिल हैं।
थोराट के पत्र के मुताबिक, यूजीसी की परीक्षाओं पर ताजा एडवाइजरी दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि यह हमें आगे लेकर जाने के बजाय पीछे लेकर जाती है। यह प्रभावी तौर पर सितंबर तक एग्जाम्स (अंतिम वर्ष/सेमेस्टर) को टालने की स्थिति बढ़ाएगी। यह इसके साथ ही राज्यों के लिए नई अनिश्चचितता का दौर भी ले आएगी, जो कि पहले ही एग्जाम्स को कैंसल करने का फैसला ले चुके हैं।
खत में कहा गया, “अभूतपूर्व स्वास्थ्य इमरजेंसी की वजह से परीक्षाएं रद्द करने की सिफारिश करनी पड़ी, न कि एग्जाम की गुणवत्ता के शक को लेकर ऐसा हुआ।”
साल 2006 से 2011 के बीच यूजीसी चेयरमैन रहे थोराट ने इसके साथ ही तर्क दिया कि Covid-19 संकट के कारण अनिश्चचितता का माहौल के चलते आगे भी एग्जाम्स मजबूरी में टाले जा सकते हैं, जिससे इवैलुवेशन (छात्रों के पहले के अंक और परफॉर्मेंस आदि) जैसे वैकल्पिक प्रणाली से बचा जा सकता है।
लेटर के अनुसार, सामान्य स्थितियां बनने और फिर से एग्जाम करने का एक विकल्प यह है कि छात्रों के खुद के पिछले परफॉर्मेंस (पूर्व परीक्षाओं में) के आधार पर इवैलुवेशन किया जाए, जो निष्पक्ष तरीके से इस प्रक्रिया को निपटाएगा।
‘ऑनलाइन या मिले-जुले मोड्स रहेंगे भेदभावपूर्ण’: थोराट ने पत्र में यह भी कहा है कि एग्जाम कैंसल करने से उनकी प्रामाणिकता बची रहेगी, क्योंकि हो सकता है कि ऑनलाइन मोड परीक्षार्थियों को बराबर का मौका नहीं दे पाएं। इस दौरान नकल रोकने के लिए कड़ी और सही तरीके से निगरानी भी नहीं हो पाएगी।
थोराट कहते हैं कि इस इमरजेंसी के दौर में परीक्षा रद्द करने के दो लाभ हैं। पहला- इससे बार-बार एग्जाम टलने को लेकर अनिश्चिचता का आलम नहीं बनेगा। दूसरा- यह परीक्षाओं की सत्यनिष्ठा को भी बचा कर रखेगा।
बता दें कि यूजीसी ने गाइडलाइंस में संशोधन करते हुए फाइनल ईयर की परीक्षाओं को ऑनलाइन, ऑफलाइन या फिर मिले-जुले तरीके से कराने की सलाह दी थी।
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