यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) जल्द ही विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को वर्तमान और अगले शैक्षणिक सत्र के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में दिशानिर्देश जारी करेगा। वैश्विक महामारी नॉवेल कोरोनावायरस कोविड-19 के कारण देश में लागू लॉकडाउन की वजह से यूजीसी ने ये फैसला लिया है। लॉकडाउन के कारण छात्रों की स्थगित हो रही क्लासेस और पढ़ाई के नुकसान को कम करने के लिए यूजीसी सत्र में बदलाव कर सकती है। यूजीसी ने वर्तमान और अगले सत्र के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का काम दो समितियों को सौंपा था, जिनके आधार पर अगले सप्ताह विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। इन समितियों ने अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंप दी है।
यूजीसी के एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि ‘यूजीसी ने शैक्षणिक नुकसान से बचने के लिए COVID-19 महामारी और देशव्यापी तालाबंदी के मद्देनजर शिक्षण-शिक्षण प्रक्रियाओं, परीक्षाओं, प्रवेश, अकादमिक कैलेंडर और अन्य संबंधित मुद्दों के बारे में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों द्वारा सामना किए जा रहे मुद्दों पर गौर करने के लिए दो समितियों का गठन किया गया है, जो छात्रों के भविष्य के लिए उचित उपाय निकालेंगी।’
यूजीसी की दो समितियों में इन्हें मिली जिम्मेदारी: प्रोफेसर आरसी कुहाड़, पूर्व सदस्य यूजीसी और हरियाणा के केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में पहली समिति को परीक्षा और शैक्षणिक कैलेंडर से संबंधित मुद्दों को देखने की जिम्मेदारी दी गई थी। जबकि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) के कुलपति प्रोफेसर नागेश्वर राव की अध्यक्षता में दूसरी समिति को ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने से संबंधित मुद्दों पर गौर करने के लिए कहा गया था।
बयान में आगे कहा गया है “दोनों समितियों ने 24 अप्रैल को अपनी रिपोर्ट यूजीसी को सौंप दी है। इन रिपोर्टों पर यूजीसी आयोग की बैठक में चर्चा की जाएगी और आयोग के निर्णय के आधार पर, यूजीसी अगले सप्ताह दिशा निर्देश जारी करेगा। यूजीसी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को वर्तमान शैक्षणिक सत्र के साथ-साथ छात्र समुदाय के बड़े हित में अगले शैक्षणिक सत्र के लिए किए जाने वाले उपायों को लेकर ये दिशा निर्देश जारी करेगा।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कमेटी के एक पैनल ने सिफारिश की है कि शैक्षणिक सत्र जुलाई के बजाए सितंबर से शुरू किया जाना चाहिए जबकि दूसरे पैनल का सुझाव है कि विश्वविद्यालयों को ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करनी चाहिए, अगर उनके पास साधन और जरूरी चीजें हैं या लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार करें और फिर लिखित परीक्षा तारीख तय करें।’ वहीं एचआरडी मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘यह जरूरी नहीं है कि सभी सिफारिशों को मान लिया जाए, दिशानिर्देश जारी करने से पहले मौजूदा हालात और मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के बाद ही दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।’
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