Coronavirus: मार्च 2020 के लेबर स्टैटिक्स बेहद चिंताजनक हैं। बीते दो हफ्तों से हालात और भी ज्यादा खराब हुए हैं। बेरोज़गारी की दर मार्च महीने में उम्मीद से कहीं ज्यादा बढ़ चुकी है। इस महीने में लेबर पार्टिसिपेशन रेट अपने अब तक के निचले पायदान पर पहुंच चुका है जिसके साथ ही बेरोज़गारी की दर में बेहिसाब बढ़ोत्तरी हुई और एम्प्लॉयमेंट रेट गिरकर अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया।
ये आंकड़े सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इकॉनमी ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (CMIE) द्वारा जारी किए गए हैं जो यह बताते हैं कि मार्च के आखिरी सप्ताह यानी देश में लॉकडाउन लागू होने के बाद से हालत और बद्तर हुए हैं। रिपोर्ट बताती है कि लॉकडाउन के बाद से देश में करोना मरीज़ों की गिनती के ग्राफ से भी तेजी से बेरोज़गारी का ग्राफ बढ़ रहा है।
मार्च 2020 में रोजगार की दर घटकर 38.2 प्रतिशत के अब तक के अपने निचले स्तर पर आ गई। जनवरी 2020 के बाद से यह गिरावट जारी है जो मार्च तक काफी ज्यादा हो गई है। बीते दो वर्षों में यह दर लगभर स्थिर ही रही मगर इस महीने आंकड़ों ने गोता लगा दिया। मार्च में बेरोजगारी दर 8.7 फीसदी थी। यह 43 महीनों में सबसे अधिक बेरोजगारी दर है। बेरोजगारी की दर जुलाई 2017 में अपने 3.4 प्रतिशत के निचले स्तर के बाद से लगातार बढ़ रही है। लेकिन, पिछले महीने की तुलना में मार्च 2020 में 98 बेस प्वाइंट की वृद्धि के साथ ये किसी एक महीने की अब तक की सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी है।
मार्च 2020 में लेबर पार्टिसिपेशन रेट 41.9 प्रतिशत था। फरवरी में यह 42.6 प्रतिशत और मार्च 2019 में 42.7 प्रतिशत था। कोरोनवायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू देशव्यापी बंदी के कारण लेबर पार्टिसिपेशन रेट में गिरावट की आशंका पहले से ही थी, लेकिन यह गिरावट लॉकडाउन से पहले भी हुई है। इससे ये संकेत मिलते हैं कि लॉकडाउन के दौरान या उसके बाद स्थिति और बद्तर हो सकती है।
मार्च के आखिरी सप्ताह के दौरान बेरोजगारी दर 23.8 प्रतिशत थी। इस दौरान लेबर पार्टिसिपेशन रेट 39 प्रतिशत तक गिर गया जबकि रोजगार की दर केवल 30 प्रतिशत थी। ये आंकड़े नि:संदेह बेहद चिंताजनक हैं।
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