देश में कोरोना वायरस के कारण चल रहे लॉक डाउन से सभी स्कूल कॉलेज बंद हैं। इस बीच बड़े प्राइवेट स्कूलों ने ऑनलाइन क्लास लेनी शुरू कर दी हैं, लेकिन इस बीच गरीब स्टूडेंट्स की सुध नहीं ली जा रही है। कुछ दिन पहले एक्य वर्द्धक मंडल तिलक नगर महाराष्ट्र की छठी क्लास की स्टूडेंट ने अपनी टीचर संगीता पटेल को कॉल किया। स्टूडेंट के माता पिता तिलक नगर में ही कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरी करते हैं और उसी के बाहर रहते हैं। टीचर ने बताया कि वह फोन पर बिलकुल टूट चुकी थी, उसने कहा कि उसके पिता उसकी मां को पीटते हैं। वह कहीं नहीं जा सकती है। मैंने उससे गणित के एक सेक्शन की समस्याओं के बारे में बताया और इंग्लिश स्पेलिंग्स पर फोकर करने के लिए कहा। मैंने उससे कहा कि जैसे पेपर की तैयारी करती हो वैसे ही पढ़ाई करो।
राज्य स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत 66,033 स्कूल हैं, जो जिला परिषद और स्थानीय स्वतंत्र निकायों द्वारा चलाए जाते हैं। इन स्कूलों में वर्चुअल क्लासरूम के अलावा अन्य तकनीकि सुविधाएं नहीं हैं। सितंबर 2019 तक, 2,71,892 स्टूडेंट बीएमसी स्कूलों में पढ़ते थे, जिनमें से अधिकांश गरीब स्टूडेंट्स हैं। पाटिल ने कहा कि लगभग 200 स्टूडेंट्स में से जो महाराष्ट्र में तिलक नगर में एक्य वर्द्धक मंडल में पढ़ते हैं, लगभग 2 प्रतिशत छात्रों के पास लैपटॉप या कंप्यूटर होंगे। “कई बच्चों के माता-पिता कूड़ा बीनने वाले हैं, या फिर ऐसे ही दूसरे काम करते हैं। उनके घरों में, चार से पांच बर्तन और कुछ कपड़े मिलते हैं। उनमें से ज्यादातर दिन में केवल एक बार खाते हैं। वर्तमान में, कई लोग अपने गांवों के लिए रवाना हो गए हैं।
कक्षा 5 की छात्रा सिद्धि राजगुरु, जो पंचशील नगर में रहती है, सिद्धि के पास सेलफोन या लैपटॉप की कोई सुविधा नहीं है। उनके पिता सतीश राजगुरू, जो हाउसकीपिंग स्टाफ के रूप में काम करते हैं, उन्होंने कहा, “उसे पढ़ाई में व्यस्त रखने का एकमात्र तरीका किताबों के माध्यम से है, उन्हीं पिछली क्लास की किताबों को दोबारा पढ़कर। हमारे इलाके के अन्य बच्चे केवल खेल रहे हैं, क्योंकि अधिकांश के पास इंटरनेट पर शैक्षिक संसाधनों तक पहुंच नहीं है।” हालांकि इसकी घोषणा की जानी बाकी है, लेकिन विभाग के शिक्षा विशेषज्ञों और अधिकारियों ने कहा है कि उनका मानना है कि स्कूलों पर लॉक डाउन मई अंत तक जारी रहेगी।
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